ITS RAINING
सावन की घनघोर घटाऐं, दौड़ी आऐं, भागी आऐं। याद दिलाऐं झूलों की,पीले सरसों के फूलों की । हर आँगन में बदरा आये , काले काले बदरा छाऐ। झूले ,झूलती कहती सखियाँ करके मीठी मीठी बतियाँ। कंगन को खनकाकर देखो, हमसे नजर मिलाकर देखो। कोयल कुहू कुहू की धुन में गाए, सुर ताल , गीतों का मौसम आऐ। गाओ सखी री तुम भी कोई गीत, मौसम मिलाऐगा मनमीत, पीहर कब फिर आऐंगे, मनभावन ये गीत लुभाऐंगे। सुनो सखी , कुछ तरकीब लगाओ, बिजली, यूँ न तुम बाण चलाओ। सावन कुछ दिन और, जाओ ठहर, नहीं जाना कहीं भी हमको, चाहे हो जाऐ पहर, नहीं जाना अब शहर। गरम पकोड़े , मधुर बातें, चुभती रहेंगी सावन की सौगाधें। चलो तुम और हम यूँ भीग जाएँ, यादें लाऐं खुशबूदार हवाएँ। आ भी जाओ ,अब शरमाओ न, हमसे नजर चुराओ न। साव