Posts

Showing posts from January 25, 2018

YOUR EYES

Image
  कुछ बोलती है तुम्हारी आंखें,   जब मैं तुम्हारी बिंदिया को   देखता हूं तब ही शर्मा जाती हैं।    शर्मा कर कुछ ना कह कर  भी    बहुत कुछ कह जाती हैं।     तुम्हारी आंखें तुम्हारी आंखें,     जब मैं अपने हाथों से     इशारा करता हूं तो     किधर की ओर घूम     जाती हैं तुम्हारी आंखें      बातों ही बातों में     नजरों को चुराती हैं     तुम्हारी आंखें सिर्फ तुम्हारी आंखें।      जब भी मैं मुस्कुराता हूं यू     चहचहाती क्यों हैं तुम्हारी      आंखें नजरों के इस      खेल में बस  सहम सी     क्यों जाती हैं तुम्हारी आंखें     जब तुम अपने बालों को सुखाते हुए     बूंदों को गिराती हो तब    क्यों कुछ ढूंढने लग जाती हैं तुम्हारी आंखें  क्या छुपाती हैं सबसे क्या समझ कर  पलकों को बंद कर देती हैं तुम्हारी आंखें आखिर क्या राज छुपाती हैं तुम्हारी आंखें  जब मैं बरसता हूं बादल बनकर क्यों सहन कर जाती हैं  तुम्हारी आंखें कजरे वाली आंखें काली  काली कैसी मतवाली तुम्हारी आंखें भीगी पलकों को रुमाल से पोंछती हैं  फिर से मुस्कुराती हैं तुम्हारी आंखें जब भी मैं कोई गलती बताता हूं तिरछी नजर