नारी
सारा भारत नारी है, फिर क्यों वह बेचारी है? कयों यातनाओं की मारी है?, इस धरती पर कयोंं भारी है? पाषाण युग से ,वर्तमान तक, नारी जाती है धिककारी , कया वह निरबल है? या हिम्मत है उसने हारी। धरती से लेकर नील गगन तक, अब सभी क्षेत्रों में नारी है आगे। चाहे नेता की हो कुर्सी, अब खेलों से भी नहीं परे। पुलिस अधीक्षक या पायलट बन, इसने गगन को चूमा है। वीरों की भारत भूमि पर, लो आज तिरंगा झूमा है। कोख में मारी जाती है, उन हैवानों के हाथों से। कया यही हमारी मानवता, इक माँ की हो हत्या,दूजी माँ के