WELCOME 2020
क्या हर पल मैंने गवाया है? या कुछ मैंने भी पाया है? यह प्रश्न मन में आया है। जो हलचल सी लाया है। क्या जो गुजरा है कल हो गया? गया सब गया क्या निकल गया? कैसे भुलाऊं उन बातों को? जो प्रश्न चिंहन सा छोड़ गया? मौन हूं मैं पर कब तक रहूंगी? यह गुजरा वक्त मेरी धड़कन को छेड़ गया। जवाब सभी अधूरे हैं। ख्वाब कुछ अधूरे कुछ पूरे हैं। कानों में झंकार ऐसी गूंज रही। खुश हो जाऊं या रों दूं अभी? प्रश्नों की यह गुहार ? दिल भी अब घबराया है। लो अब नया साल आया है। यह आज का नया सूरज है। मन में फिर भी एक धीरज है। एक सिरहन सी जो अंदर है। कानों में कुछ बोल गया। एक मीठी आस घोल गया। हर शाख मेरी हरी सी है। हर पत्ता मेरा सूखा सूखा। दिल में मेरे है अरमान। कल का सूरज था डूबा डूबा। आज का सूरज निकलना है। बर्फ को शाखों से पिघलना है। मुझको भूत से आगे निकलना है। वर्तमान की सीढ़ी को चढ़ना है। रख रही हूं आगे बढ़कर कदम। इस नववर्ष की संध्या में, नहीं डगमगाने दूंगी खुद को। दुनिया की इन गलियों में। यह वादा है मेरा खुद से, मुझे आसमान में उड