रेशम की डोरी
एक दूजे की सांसों को बांधे, रोली , चावल ,रेशम के धागे ।। दही का रोली से मिलना, सिखलाए ,एक दूजे में घुलना ।। जलता है, दीपक थाली में , उज्जवल भविष्य की कामना में मैं।। मन ही मन शब्दों को बोलूं, तू मुझे ना भूले, मैं तुझे ना छोड़ूं।। मिष्ठान से लो करो, मुंह मीठा , चेहरे की रौनक ने मेरे हृदय को जीता।। चावल के दानों की वर्षा, भाई तुम पर हो सुख समृद्धि की वर्षा।। बांध रही हूं हृदय की डोर, रहे तू तब तक जब तक है मेरी भोर।। लो आ गई अब मेरी बारी, कर लो खर्चे की तैयारी।। आप सभी को रक्षाबंधन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। ✍️पूनम ✍️ ✍️