वृक्ष से गिरे हुए सूखे पत्ते, को भी पता होता है कि, मुझे हवा के रुख के साथ, ही आगे बढ़ना है। तुम भी हवा के रुख के साथ आगे बढ़ो, प्रकृति तुम्हारी अवश्य ही सहायता करेगी। -✍️पूनम,✍️✍️
तुम बहुत खास हो। मुझे तुमसे उम्मीद है, कि तुम बेहतर से बेहतरीन बनने में कोई, कसर नहीं छोड़ोगे। ठोकरे बहुत कुछ सिखाती हैं। जीने का तजुर्बा दे जाती हैं। तुम तुम्हारे जीवन की, वह किताब हो जिसके पन्ने, कोरे हैं। बस तुम ही उस पर, रचना लिख सकते हो। कोई और नहीं। - ✍️पूनम ✍️✍️
स्वयम से स्वयं के बीच का युद्ध ही अंतर्द्वंद है। तुम्हारी प्रतियोगिता सिर्फ तुम से ही होनी चाहिए। इस युद्ध में विजयी होना तुम्हें ईश्वर का दिया हुआ उत्तरदायित्व है। -✍️पूनम्✍️✍️
बेहद की इच्छा मत कर, थोड़े में ही सब्र कर। क्या लेकर आया तू, खुद पर इतना नहीं फक्र कर। सालों को बदलना ही है, पर तू कितना बदल पाया। यही देखना है तुझे आज, खुद में तू कितना ठहर पाया। -✍️ पूनम ✍️✍️
खुद को काबिल बनाइए, हर उस परस्थिति के लिए, जो आपको निचोड़ तो सके, पर तोड़ न सके। सुना तो सके पर, हिल न सके। बात तो सके पर, गुमराह न कर सके। भटका तो सके पर, अपंग न बना सके। सुलगा तो सके पर, बुझा ना सके। -✍️पूनम ✍️✍️
बरसात की एक बूंद, को , तरसता है यह दिल। शाखाओं के सूखने से, मचलता है यह दिल। काश दिल की जमीन पर, मेहनत का अंकुर फूटे। आशाओं की भर में, पुष्पवली झूमें। तितलियां मंडरा ने लगी, मेरे दिल के जहां में। सफलता की बारिश में, भीगूं नाचूं अनंत मुस्कान में।। -✍️पूनम✍️✍️
वक्त के धागे में, पिरोए थे कुछ सपने। कुछ को मैंने सच बनाया, उसे पर लगी हंसने। चलो इसी बहाने हंस लिया, बेहतर से बेहतरीन बनने का, रास्ता मैंने खोज लिया। आज मैं खुश हूं, क्योंकि वक्त ने मेरा हिसाब, कर दिया। परिश्रम मैंने किया, और घाव उसने भर दिया।। -✍️पूनम✍️✍️
हमसे ज्यादा सवाल मत कीजिए। आपको जवाब हम नहीं देंगे हमारा खुदा देगा। खुद को देखिए हर पल, हमारे होते जा रहे हैं, क्या यह उत्तर नहीं है? आपके सवालों का? -✍️पूनम✍️✍️