संदेश
तुम मेरे लिए सुगंधित,
इत्र की शीशी के समान हो
जो जिस दिन भी खुलेगी,
मेरे आत्मा रूपी धरातल को
सुगंधित ही करेगी। बस सुगंध
को स्वयं में समेटे हुए तुम
स्वयं की कीमत को खुद ही
आंक लो, विश्वास मानो में,
तुम पर कोई भी प्रतिबंध
नहीं लगाना चाहती।
बस तुमसे अपने जीवन को,
सुगंधित बनाना ही मेरा लक्ष्य है।
✍️ पूनम✍️✍️
Comments
Post a Comment