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Showing posts from March 27, 2018

RANGMANCH

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मैं हूं नायिका इस रंगमंच पर, किरदार मुझे निभाना है। जीवन है एक नाटक, प्रस्तुत करते जाना है।।  कुछ संवाद हैं मेरे, जो मुझे मुश्किलों में घेरे।  रंगमंच की इस भूमि पर ,रिश्ते नाते सब से, हैं गहरे।  संवादों के बाद ,अभिनय का है साथ।  नाटक के इस प्रकरण में ,दृश्यों का भी है हाथ।।  दृश्यों के इस पर्व में, अनजाने से दर्द में।  किरदार बस निभाना है, संवादों में न उलझकर , आत्मविश्वास दिखाना है।  जीवन है एक नाटक, प्रस्तुत करते जाना है।।  बेटी बनकर रंगमंच पर, हिम्मत को दर्शाना है।  बेटी का अभिनय है, महत्वपूर्ण परंतु बेटे की भी, जिम्मेदारियों ने नायिका को किया है, परिपूर्ण।  यह पृष्ठभमि है नाटक की, बेटे के किरदार को भी स्वेच्छा से निभाना है।। मातपिता को ईश्वर जान, तुम ही हो रंगमंच की शान ।। नहीं अभिमान दिखाना है , बस रंगमंच की मिट्टी को । मस्तक से लगाना है ,फिर नाटक को प्रस्तुत करते जाना है।। अश्रु नहीं बहाना है ,दृढ़ता से इस भूमि की,  खुशबू को हृदय में  बसाना है।। नायिका हो तुम, इस रंगमंच पर ,कभी बहू तो कभी मां । बस उच्च कोटि के अभिनय में।  जीवन भर मुस्काना है।