RANGMANCH


मैं हूं नायिका इस रंगमंच पर, किरदार मुझे निभाना है।
जीवन है एक नाटक, प्रस्तुत करते जाना है।। 
कुछ संवाद हैं मेरे, जो मुझे मुश्किलों में घेरे। 
रंगमंच की इस भूमि पर ,रिश्ते नाते सब से, हैं गहरे। 
संवादों के बाद ,अभिनय का है साथ। 
नाटक के इस प्रकरण में ,दृश्यों का भी है हाथ।। 
दृश्यों के इस पर्व में, अनजाने से दर्द में। 
किरदार बस निभाना है, संवादों में न उलझकर ,
आत्मविश्वास दिखाना है। 
जीवन है एक नाटक, प्रस्तुत करते जाना है।। 
बेटी बनकर रंगमंच पर, हिम्मत को दर्शाना है। 
बेटी का अभिनय है, महत्वपूर्ण परंतु बेटे की भी, जिम्मेदारियों ने नायिका को किया है, परिपूर्ण। 
यह पृष्ठभमि है नाटक की, बेटे के किरदार को भी स्वेच्छा से निभाना है।। मातपिता को ईश्वर जान, तुम ही हो रंगमंच की शान ।।
नहीं अभिमान दिखाना है , बस रंगमंच की मिट्टी को ।
मस्तक से लगाना है ,फिर नाटक को प्रस्तुत करते जाना है।। अश्रु नहीं बहाना है ,दृढ़ता से इस भूमि की, 
खुशबू को हृदय में  बसाना है।। नायिका हो तुम, इस रंगमंच पर ,कभी बहू तो कभी मां ।
बस उच्च कोटि के अभिनय में। 
जीवन भर मुस्काना है।।। 
 प्रस्तुति देते जाना है। 
मैं हूं नायिका इस रंगमंच पर ,किरदार मुझे निभाना है। 
चाहे हो मां का किरदार, 
बनना है जीवन का आधार ।
नन्हे मुन्ने को प्रकट करना आभार, उन्होंने किया है सपने को साकार।। मां का दर्जा तुमको दिया, संपूर्ण बनाकर लूटा जिया । 
हे नायिका यह है, रंगमंच ।
यहां पर ढेरों है प्रपंच ,नाटक के अभिन्न अंग में,
 खुद को भी सुलझाना है।। नाटक प्रस्तुत करते जाना है।।
 गृह लक्ष्मी बनकर तुम , मत होना इस दुनिया में गुम।
 सुन लेना  अपने हृदय की धुन। तुलसी हो इस आंगन की,
 हो मकान की नींव की पहली ईट, जिस पर टिका हुआ, पुरुष के जीवन का गीत।।
 आधारशिला हो इस घर की,
 स्वामी के जीवन की सितार पर।
 छेड़े हैं तुमने जो तार, आकर रंगमंच पर बारंबार।।
 गाना है यही मल्हार।
 नहीं है बनना किसी पर भार, 
नहीं मानना जीवन से हार।।
 रंगमंच की इस भूमि पर,
 सभी संबंधों को निभाना है ।।
बस प्रस्तुति देते जाना है।।  
मैं हूं नायिका इस रंगमंच पर ,किरदार मुझे निभाना है।।
 रंगीन विश्व की पृष्ठभूमि पर,
 श्वेत सागर छलका जाना है।।
 पीड़ा और संकट में देख,
 मन की शांति को फैलाना है।।
 केवल किरदार निभाना है,
 इन में लिप्त नहीं हो जाना है ।।
जीवन मंच कि इस पगडंडी ,पर ,
अश्रु नहीं छलका ना है।।
 इस  में लिप्त नहीं, हो जाना है। ।

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