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Showing posts from May 10, 2019

DEDICATED TO MOM

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आंचल ही है मां का,  कोई,और नहीं है छॉव ।  जा कर किसको दिखाऊं,  मां अपने दिल का मैं घाव ।  मां तूने ही तो सिखाया ,  सदा मुस्कुराते रहना ।  कुछ भी गर हो जाए ,  ना किसी की गलती को सहना। रखना अपने मस्तिष्क को ठंडा ,  में ऐसा नहीं हूं बंदा।  कितनी दुनिया मैंने परखी ,  मिली न तुझ से  प्यारी सखी । आज जब भी कुर्सी हिलती,  खोजता हूं खुद में गलती।  तू जब भी कुर्सी पर बैठी दिखती,  मेरे उधड़े कपड़ों को सिलती।  ठंडी पवन जैसे कोई चलती,  अठखेलियां सी करती । आज खाया तेरे हाथों का अचार,  हो गया मैं खुशगवार ।  याद आया तेरा  वो सुविचार ,  जिंदादिली है जीवन का सार ।  भर आया मेरी आंखों में प्यार।।  बड़े दिनों बाद जब ,  धूल पोंछी तेरी तस्वीर से अब।  ना जाने तेरा कौन सा है मजहब,  तेरे जाने के बाद।  ढूंढता हूं उंगली तेरी आज।।  जिसे पकड़कर चलना सीखा था ,  वही सहारा खोजता हूं ।  तेरे शब्दों को तोलता हूं ,  कानों में जो रस घोलते हैं।  तेरी लोरी का हूं प्यासा ,  आ एक बार दे जा मुझे दिलासा।।  आज भी जब मैं पुकारता हूं,  तेरी सूरत को निहारता हूं ।  किस मिट्टी की थी