DEDICATED TO MOM
कोई,और नहीं है छॉव ।
जा कर किसको दिखाऊं,
मां अपने दिल का मैं घाव ।
मां तूने ही तो सिखाया ,
सदा मुस्कुराते रहना ।
कुछ भी गर हो जाए ,
ना किसी की गलती को सहना।
में ऐसा नहीं हूं बंदा।
कितनी दुनिया मैंने परखी ,
मिली न तुझ से प्यारी सखी ।
आज जब भी कुर्सी हिलती,
खोजता हूं खुद में गलती।
तू जब भी कुर्सी पर बैठी दिखती,
मेरे उधड़े कपड़ों को सिलती।
ठंडी पवन जैसे कोई चलती,
अठखेलियां सी करती ।
आज खाया तेरे हाथों का अचार,
हो गया मैं खुशगवार ।
याद आया तेरा वो सुविचार ,
जिंदादिली है जीवन का सार ।
भर आया मेरी आंखों में प्यार।।
बड़े दिनों बाद जब ,
धूल पोंछी तेरी तस्वीर से अब।
ना जाने तेरा कौन सा है मजहब,
तेरे जाने के बाद।
ढूंढता हूं उंगली तेरी आज।।
जिसे पकड़कर चलना सीखा था ,
वही सहारा खोजता हूं ।
तेरे शब्दों को तोलता हूं ,
कानों में जो रस घोलते हैं।
तेरी लोरी का हूं प्यासा ,
आ एक बार दे जा मुझे दिलासा।।
आज भी जब मैं पुकारता हूं,
तेरी सूरत को निहारता हूं ।
किस मिट्टी की थी बनी ,तू,
है अब तक आती तेरी खुशबू।।
दोनों हाथ से करता हूं नमन,
सितारों से जड़ित है तेरा दामन।
कर ले स्वीकार मेरी भावनाओं को,
कर लूं आचमन इन संभावनाओं को ।।
✍️ पूनम✍️✍️✍️
Comments
Post a Comment