दोस्ती
तुमसे बातें कर ली हजार, अब चुप रहने को मन है तैयार। बातों में अब कहां कुछ रखा है? गलत समझी तुम्हें , कि तू ही मेरा प्रिय सखा है। काश कोई डोर हो, तेरे मेरे दरमियां। खिंची चली जाऊं तेरी ओर, क्योंकि दूर रहना भी , अपने आप में एक सजा है। -✍️पूनम✍️✍️