प्राण जीवन जल
पंछियों ने घरौंदे बनाए, तिनके तिनके परों पर उठाए । तिनका तिनका जोड़कर, हिम्मत को संजोकर । दिया बच्चों को छोटा सा घरौंदा, सुबह से शाम हो गई, प्रकृति ही राह खो गई। पंछी कभी प्यासे तो कभी भूखे थे, क्योंकि प्रकृति के रास्ते अनूठे थे ।। आज हर इंसान से, एक ही इच्छा है । पंछियों ने दी उनको, भी एक शिक्षा है । जिसने हमें खिलाया दाना, जाना जीवन का ताना-बाना ।। श्रेष्ठ वही इंसान है , जिसने जाना जीवन का हर एहसास है।। आज मेरे घरौंदे में, बच्चे दाना खाएंगे। जो हमने खाया है, उससे ज्यादा तूने पाया है।। जो प्यास मेरी बुझाएगा तू, मस्तिष्क की शांति पाएगा तू।। हे इंसान !!एक बर्तन रख दे तू भी , अपनी मुंडेर पर। भर दे उसमें प्राण जीवन जल, और प्रेम का अहसास ।। सच कहता हूं मानव तूने मुझे जो है ,दिया , मैंने उसे प्रेम से लिया ।। आज हमारा जीवन, दांव पर है ।। मेरी इच्छा भी ,वृक्षों की छांव में है।। आज जब वृक्षों की छांव नहीं। पंछियों के लिए घाव है यही। जो प्रकृति को करता है, तू प्यार, जीवन को तू चाहता है संवार ।। आ गए गर्मी के दिन, जल से भरा बर्तन है,हमार