YOUR EYES

  कुछ बोलती है तुम्हारी आंखें,
  जब मैं तुम्हारी बिंदिया को
  देखता हूं तब ही शर्मा जाती हैं।
   शर्मा कर कुछ ना कह कर  भी
   बहुत कुछ कह जाती हैं।
    तुम्हारी आंखें तुम्हारी आंखें,
    जब मैं अपने हाथों से
    इशारा करता हूं तो
    किधर की ओर घूम
    जाती हैं तुम्हारी आंखें
     बातों ही बातों में
    नजरों को चुराती हैं
    तुम्हारी आंखें सिर्फ तुम्हारी आंखें।
     जब भी मैं मुस्कुराता हूं यू
    चहचहाती क्यों हैं तुम्हारी
     आंखें नजरों के इस
     खेल में बस  सहम सी
    क्यों जाती हैं तुम्हारी आंखें
    जब तुम अपने बालों को सुखाते हुए
    बूंदों को गिराती हो तब
   क्यों कुछ ढूंढने लग जाती हैं तुम्हारी आंखें
 क्या छुपाती हैं सबसे क्या समझ कर
 पलकों को बंद कर देती हैं तुम्हारी आंखें
आखिर क्या राज छुपाती हैं तुम्हारी आंखें
 जब मैं बरसता हूं
बादल बनकर क्यों सहन कर जाती हैं
 तुम्हारी आंखें कजरे वाली आंखें काली
 काली कैसी मतवाली तुम्हारी आंखें
भीगी पलकों को रुमाल से पोंछती हैं
 फिर से मुस्कुराती हैं तुम्हारी आंखें
जब भी मैं कोई गलती बताता हूं
तिरछी नजरों से क्यों देखती हैं
 तुम्हारी आंखें
ना कुछ कहकर बस हार सी
मान जाती हैं क्यों तुम्हारी आंखें
  क्या छुपाती हैं क्या बताती हैं
क्या समझाती हैं,
 कमल के फूलों जैसी तुम्हारी आंखें
 हरदम मुझ पर प्यार की बरसाते
क्यों बरसाती हैं तुम्हारी आंखें, तुम्हारी आंखें
जब मैं उलझता हूं किसी भी मयखाने में
 तब मुझे संभालती हैं बस तुम्हारी आंखें
 जब टूट जाता हूं इस कदर की
तब संबंध जोड़ती हैं तुम्हारी आंखें
 और क्या कहूं, हर बात  तुम्हारी ,
सच में नजाकत से भरी हैं ,तुम्हारी आंखें
जब तुम प्यार से सहलाती हो
 बालों में उंगली डाल अपना दिल बहलाती हो,
 मीठे पकवानों सी दिलजीत लेती है तुम्हारी आंखें
रात दिन लोरी सुनाती हैं,
अपने प्यारे प्यारे हाथों से,
 नाराजगी में भी मनाती है,तुम्हारी आंखें।

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