AN OLD WOMAN
मैंने पथरीले पथ पर एक बूढी माँ को देखा,
स्थिति उसकी बता रही थी, माथे पर अंकित रेखा
एक हाथ में डंडा उसके, एक हाथ में हंसिया,
आँखें पढ़ी जो उसकी मैंने,लगती थी एक दुखिया।
पोटली एक कंधे पर उठाये,जाने क्या वह सोची। जाऐ।
अकेले में ढे़रों बातें बनाऐ, क्या गम है जो भूल न पाये।
पहेलियाँ वो लाख बनाऐ,शाम ढ़लने पर वापस आये।
एक दिवस वह मुझसे बोली,आम लाई मैं भर के झोली।
जो चाहे तू आम खाना, मुझे ठंडा पानी पिलाना।
मैं जग भर कर पानी लाई, जाकर उसकी प्यास बुझाई।
टूट टूट कर जुड़ी थी साँसे,सिसकी लेने लगी आँसुओं से भरी आँखे।
क्या कहूँ अब बचा है क्या, बँटवारा जो हो गया
बूढ़ी आँखों में न कोई झाँक सका,अपनी माँ को न कोई पहचान सका।
मैं तो बस एक माँ हूँ,पहचानोगे तो जानोगे जीने की एक चाह हूँ।
जमीन को बाँट कर तुमने ,माँ का दर्द भी बाँटा है क्या?दिल में माँ के झाँका है क्या?
धीरे धीरे लोगों की बातें,अब मुझे भी तोड़ेंगी।अपने बच्चों की यादों को मैं
अब माला में पिरो लूँगी। तम भी कभी असहाय माँ को दिल मेंं अपने बसा लेना ।. तुलसी की माला के मनके कभी माँ की माला के तुम भी कभी फहरा लेना।.
संकोच न करना,सोच कर चलना,हरदम हँसता चेहरा मुझे भी दिखा देना ।
जीवन की इस राह में मुझे आवाज लगा लेना।
राहों .में मिल जाऊँ अगर ,तो गम का बोझा उठा लेना,
दिल की इस तस्वीर में,अपना प्रतिबिम्ब बना जाना। समय ये भी निकल जाऐगा,तुम लाठी बन जाओ अगर,आवाज कभी जो दूँ ,मुझे गले लगा लेना मीठे लफ्जों से प्रेम के दो घूँट पिला दे
आँसू मैं पी जाऊँगी, बस प्यास बुझा जाना।।।
मेरे आगे,यूँ पन्ने दिल की किताब के खोले।
रग रग में मेरे, मीठी वाणी माँ की ,और ढ़ेरों आशीष ,कानों में रस घोले।।।।।
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