खामोशी एक साज

क्यों आप से मिलने का मन करता है?
थोङा मुस्कुराने से दिल खिलता है।
आंखें चुराने से प्यास लगती है।
नजरें मिलाने से और बढती है।
क्यों कुछ कर गुजरने को मन करता है?
यूं बनने संवरने को दिल कहता है?
क्यों  अंतः ध्वनि को तुम तक पहुंचने
में  दिवस लगता है?

अंततः ये ध्वनि मेरे हदय की है न,
अब तुम मौन हो, कुछ कहने दो ना।
बांहों में छिपा लो अब,
खामोशी में प्रेम झलकता है सब।
श्वासों को चढने व उतरने दो,
बस यूँ ही समय निकलने दो।
आंखों की गहराई में ,
तस्वीरों को बनने दो।


जब से मिले हो तुम,
होश  हो गये, तन्हाई में गुम।
जीना होगा जीवन को आज,
तन्हाई में भी गाने होगे साज।
मानो जीवन को एक पहेली,
वही एकमात्र मेरी सहेली।


दिल से न जीत पाए हम,
क्योंकि चाहने लगे हैं तुमको अब।
खुशी के  हैं बहाने बहुत,
नेत्रों में जो बस गये तुम कब?
दिल के गीतों को बजने दो।
थोड़ा और संवरने दो।
समय की गहराई में,
छिप कर मेरी तन्हाई में।
अनजानी राहों पर,
आगे और निकलने दो।
राहों पर रूक रूक कर,
अब सांसों को चलने दो।
                             
                    🌹 पूनम✍️✍️✍️

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