करवा चौथ

प्रेम का है, अटूट बंधन,
और मयंक का करना है वंदन।
करवों की है रात आई,
स्वामी ने है, प्यास बुझाई।

दिवस आज का, बङा है खास,
कच्चे दीपक  और घी है पास।
यूं ही प्रज्वलित रहे, ये दीपक,
चक्षु को न करना, तू झपक ।
छलनी से देखो, जो आज,
चंद्र अर्क ही, बङा है काज।

छलनी से यूं, देखूं सजना,
यूं ही मांग में, सजते रहना।
सिंदूर ही है सुहागन का गहना,
पूजा करुं करवा चौथ हर बार।
करके मैं सोलह श्रंगार।

मांगू यही कामना मैं, रब से,
स्वामी की हो, आयु दीर्घ।
व्रत करके देखूं जो सजना,
करवा चौथ आए शीघ्र।
 
चंद्रमा को देकर अर्क,
मिष्ठान का लगाकर भोग।
सुहागन का बोले यह कंगना ,
मुझे साजन अपने रंग में रंगना।

प्रार्थना सुहागन की है बहुत है खास,
लो आ गया चांद  बुझाने प्यास।
आंखें मूंदू, सजना को देखूं,
यही है हर  दिल की आस ।
स्वामी रहना सदा तू पास।

"करवा चौथ की सभी बहनों को मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं।। "


                                     🍁 पूनम✍️✍️✍️

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

Benefits of desi ghee

Blessings of life