भावभीनी श्रद्धांजलि

नहीं चाहती हूँ मैं बंधिश,
अपनी इस छोटी दुनिया में,
बंद करो, अब तो ये, रंजिश,
चाहती हूँ, यही, अब दुनिया में।

सपने तो अब सच होंगे,
पराये अब अपने, कब होंगे?
रहती हूँ, इसी अटकल में ।
कब होगी शान्ति इस जल थल में ?

आएगी समझ, कब उनको भी ?
जब देर हो गयी, तुमको भी ।
अपने घर , वापस आने में,
अपनों को समझाने में।।

झूठे वादे, झूठी कसमें, झूठी है दुनिया तेरी।
डोली आएगी सज कर,अपने घर पर मेरी,
तिरंगे में, लिपटे होंगे हम।
भर लेना, सांसों में दम।

शर्मसार होंगे, अंधेरे भी,
उजाले होंगे, बथेरे अभी।
आऊंगा  मैं  , घर अपने,
बस रूकना थोड़ी देरी।

हिला देंगे हम दुशमन को।
जिसने प्रहरी को देखा भी।
तोङ देंगे,उनकी हिम्मत।
उठा देंगे मुखौटे को, चेहरे से अभी।

                 
                           पूनम✍️✍️✍️




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