समय



  आज मैंंने गमों को दी है ,मात
  जब समय भी नहीं था हमारे साथ ।
 
   एक एक लम्हा मुशकिलों से भरा ,
   दिया हमने लम्हों को हरा ।

   कर लिया काबू में वह समय ,
   जिससे मैं थी अनभिज्ञ  ।

   रख दिया खुद को ठोकर पर,
   गमों को दी साहस की आंच ।

   पिघला कर सभी गम ,
   कर लिया आंखों को नम।

   अश्रु थे हिम्मत से परिपूर्ण,
   रूकने न दिया कर लिया खुद को समपूर्ण ।

    आज हूं मैं ,जब सबल ,
    ओढ कर सहेज कर अपना आंचल।

    आज जैसे ही मैंने पासे फेंके हैं,
    खाए ऐसे जो धोखे हैं।

    धोखे ने ही  दी है मुझे ताकत,
    अब जाके आयी साँँसों में राहत।

    अब तो सवाभिमान हुआ अडिग,
    आंखें गई अश्रुओं से भीग।

    मैंने पासों से दिया है समय को बदल,
    अपने हृदय को  बना कर अटल।

    आज फिर समय है मेरे साथ ,
    फिर थाम लिया मैंने उसका हाथ।

                           ✍️पूनम ✍️✍️✍️

 


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