किरण
अभी और भी है इम्तिहान
बनानी है अपनी राह ,
जाना है बहुत दूर ।
पूर्ण करनी है चाह।।
पलों को जोड़ना है ,
जोड़कर वक्त बनाना है।
मुट्ठी में रखना है ,
बनाना एक नया फसाना है।
विचार बहुत है मन में,
अनजान हम हैं मन से।
जाना किधर है हमको,
सोच रही हूं कब से।
अभी भोर हुई है ,
शाम ढलने का है इंतजार ।
कामनाओं का पिटारा खोल ,
होना है खुद से बेजार ।।
कब मिलेगी मंजिल,
रास्तों पर चलकर ।
उठाने हैं बहुत से कदम,
मुझे आगे बढ़ कर ।।
सूर्य की किरणें हमें ,
बहुत कुछ सिखाती हैं ।
हर रात से लड़कर,
अंधेरे को छुपाती हैं।।
हां मैं बनकर एक किरण ,
करूंगी सब के दुखों का हरण।
वक्त को मैं दूंगी रोक ,
खुद को इस आंधी में झोंक ।।
कभी तो मैं निर्णय लूंगी ,
तुम्हारी आत्मा को छू लूंगी।
तब कविता में लिख दूंगी ,
हर सूर्य की एक किरण बनूंगी।
✍️ पूनम✍️✍️
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