कर्तव्यों का साथ
यह आज पता चला।
मुझे मेरे अपनों से,
समझता था हर कार्य हैं मुझसे जुड़ा।
गर्व था खुद पर कि मैं हूं खड़ा,
सोचता था मेरे बिना जीना होगा असंभव।
क्योंकि मेरे जैसे इंसान का मिलना है दुर्लभ,
तभी मेरी मां ने जताया।
यह है तेरे कर्तव्य बताया।।
किसी के लिए नहीं करते हो,
खुद से पूछो किस पर मरते हो?
यह है केवल अहंकार तुम्हारा,
मत बनाओ स्वयं को बेचारा।
कल्पना करो कि कर्तव्य है तुम्हारा ,
वहन करो बंन कर अंगारा।
हर कार्य में खुशी नहीं मिलती,
कर्तव्यों का पालन करने में ही है उन्नति।
मन को मारकर भी करने पड़ते हैं कर्तव्य,
यह है सच्चाई नहीं कोई व्यंग।।
मेरी चक्षु आज खुल गए मां,
भर गई उमंग बढ़ गया उत्साह।।
अब कर्मों को कर्तव्य ही समझूंगा,
समस्या हुई तो तुमको ढूंढ लूंगा।
✍️ पूनम ✍️✍️
Nice
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