शब्दकोष

खुद को बताने में कि,

मैं भी एक इंसान हूं,

क्यों लोगों को समझाने में कि,

मैं कोई भगवान नहीं,

क्यों शब्दकोष कम पड़ जाता है।


सुकून के दो पल गुजारने में, 

मुझ पर शक हो जाता है,

निजी मुद्दों को सुलझाने में,

क्यों शब्दकोष सा कम पड़ जाता है।


सिर से पल्लू गिर जाने में,

अपनी मर्यादा का कायदा समझाने में,

क्यों शब्दकोष कम पड़ जाता है।


मेरे मन के दो शब्दों को क्यों,

तोल मोल के बोलूं मैं?

ह्रदय की पीड़ा दर्शाने में क्यों ,

शब्दकोष कम पड़ जाता है।


मेरे बच्चे अब ,मेरे कद से ऊपर हैं,

जिंदगी के दायरों से ,

अपना कद बढ़ाने में क्यों,

शब्दकोष कम पड़ जाता है।


जीवन ने जीना सिखा दिया,

मुश्किल से लड़ना सिखा दिया,

हाथों की लकीरें बदल गई।

मुझको कोई प्रताड़ित करे,

यह मुझे मंजूर नहीं।

बेहतर को बेहतरीन बनाने में,

क्यों शब्दकोष कम पड़ जाता है।


चाहती हूं मैं भी जीना ,

पर मेरे जीवन का कोई मोल नहीं,

संबंधों को मीठा बनानें में,

जीवंतता को संबंधों में लाने में क्यों,

शब्दकोष कम पड़ जाता है।


                          ✍️ पूनम ✍️ ✍️


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