कर्म



सुकून है तुझ में, तू बाहर कहां ढूंढता है? 
भीतर की आवाज को ,
तू क्यों नहीं सुनता है ?
अभी है गुंजाइश,देर मत कर,
कर्म कर डट कर, बेहोश क्यों घूमता है?

           -✍️ पूनम✍️✍️

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