मिथ्या

आज मैं जिंदगी के,
उस पड़ाव पर हूं जब,
तेरे सिवा मुझे कोई भी,
अपना नहीं लगता।
तेरे अतिरिक्त सभी,
मिथ्या मालूम पड़ता है।
                -✍️पूनम✍️✍️

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