वक्त के धागे
वक्त के धागे में,
पिरोए थे कुछ सपने।
कुछ को मैंने सच बनाया,
उसे पर लगी हंसने।
चलो इसी बहाने हंस लिया,
बेहतर से बेहतरीन बनने का,
रास्ता मैंने खोज लिया।
आज मैं खुश हूं,
क्योंकि वक्त ने मेरा हिसाब,
कर दिया।
परिश्रम मैंने किया,
और घाव उसने भर दिया।।
-✍️पूनम✍️✍️
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