अनंत मुस्कान
बरसात की एक बूंद, को ,
तरसता है यह दिल।
शाखाओं के सूखने से,
मचलता है यह दिल।
काश दिल की जमीन पर,
मेहनत का अंकुर फूटे।
आशाओं की भर में,
पुष्पवली झूमें।
तितलियां मंडराने लगी,
मेरे दिल के जहां में।
सफलता की बारिश में,
भीगूं नाचूं अनंत मुस्कान में।।
-✍️पूनम✍️✍️
Comments
Post a Comment