अंजाम


मेरी तन्हाई में है, नाम तुम्हारा
 जब जहां सोचती हूं, सामने आए वही नजारा।
 न जाने कैसे होगा बिन, तेरे गुजारा,
 आज भी तारे गिनती हूं, मैं चढ़कर चौबारा।।

 गुनाह वही जो मुझसे हुआ ,
मांगती हूं ऊपर वाले से, बस यही दुआ।
 गमों को रंगीन कर उड़ा दूं, धुआँँ।
 वही वक्त याद है ,जब तूने दिल को छुआ।।

 प्रतिस्पर्धा होती है दिल की ,और दिमाग की,
 बातें हैं गुरुर की या फिर हिसाब की।
 एक-एक सांस को मैंने था गिना ,
 ना जाने क्यों मैंने तुझी को चुना ।

 आज भी झूमती हूं लेकर तेरा नाम ,
 जाने क्या होगा आगे मेरा अंजाम ।
 क्या कभी तुम्हें भी इसका पता चला,
 क्या मेरे जैसे तुमको भी था कोई गिला???

 गिले हैं आए लेकर नया फसाना,
 समझने लगी थी मैं खुद को सयाना।
 दिल ने किया था फिर एक बहाना ,
 यूं ही फिर से आकर मेरे दिल को चुराना।।

                     ✍️ पूनम✍️✍️

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