ग़ुलाब


बिखेरनी है ख़ुशबू मुझे  भी यहाँ 

कि मैं  कोई गुलाब से कम नहीं ।

अंदाज़े बयान करने है नज़्म से  अभी,

कि मैं कोई आफ़ताब से कम नहीं ।।

            -✍️पूनम ✍️✍️



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